अक्षय तृतीया 2025: जानिए इस पावन दिन का महत्व, पूजा विधि और परंपराएं

अक्षय तृतीया 2025: जानिए इस पावन दिन का महत्व, पूजा विधि और परंपराएं

 

अक्षय तृतीया क्या है?

अक्षय तृतीया हिन्दू धर्म का एक अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण पर्व है। इसे वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। “अक्षय” का अर्थ होता है – जो कभी क्षय (नाश) न हो और “तृतीया” का अर्थ है – तीसरा दिन। इस दिन जो भी शुभ कार्य किया जाता है, वह अक्षय फल देने वाला माना जाता है। यही कारण है कि लोग इस दिन नए कार्यों की शुरुआत करते हैं, खरीदारी करते हैं और दान-पुण्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

अक्षय तृतीया का पौराणिक महत्व

अक्षय तृतीया से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन:

  • भगवान परशुराम का जन्म हुआ था, जिन्हें विष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजा जाता है।
  • महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा का स्वागत कर उन्हें अपार धन-समृद्धि प्रदान की थी।
  • पांडवों को वनवास काल में अक्षय पात्र प्राप्त हुआ था, जिससे कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था।
  • गंगा नदी का अवतरण पृथ्वी पर इसी दिन हुआ था।
  • त्रेता युग का प्रारंभ भी अक्षय तृतीया के दिन हुआ था।

इन सभी घटनाओं के चलते यह दिन अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है।

अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व

धार्मिक दृष्टि से अक्षय तृतीया का विशेष स्थान है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि संपूर्ण दिन को स्वयं में शुभ माना जाता है। विवाह, गृह प्रवेश, वाहन या संपत्ति खरीदने, नया व्यवसाय शुरू करने जैसे कार्यों के लिए लोग इस दिन का चयन करते हैं।

इसके अलावा, दान और पुण्य के कार्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से जलदान, अन्नदान, वस्त्रदान और स्वर्णदान को अत्यंत फलदायी बताया गया है।

अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की परंपरा

अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने की विशेष परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन खरीदा गया सोना घर में समृद्धि और स्थायी सुख-संपत्ति लेकर आता है। सोने को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और इस दिन सोने की खरीदारी से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

आज के समय में भी इस परंपरा का विशेष महत्व है और ज्वेलरी शॉप्स पर भारी भीड़ देखी जाती है। कई लोग शेयर बाजार या रियल एस्टेट में निवेश भी इस दिन करना शुभ मानते हैं।

अक्षय तृतीया की पूजा विधि

अक्षय तृतीया के दिन घर पर पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है:

  1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  3. भगवान विष्णु, लक्ष्मी माता और परशुराम जी का पूजन करें।
  4. फूल, धूप, दीप, चंदन, अक्षत और मिठाई चढ़ाएँ।
  5. विशेष रूप से जौ, तिल और गंगाजल अर्पित करें।
  6. विष्णु सहस्रनाम या लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।
  7. भोजन या फल का भोग लगाकर परिवार में वितरण करें।
  8. दान करें – जलपात्र, वस्त्र, अन्न, स्वर्ण या जो भी संभव हो।

अक्षय तृतीया से जुड़ी कुछ विशेष बातें

  • अक्षय तृतीया को “अखा तीज” भी कहा जाता है, खासकर राजस्थान और गुजरात में।
  • इस दिन चार धाम यात्रा प्रारंभ करने का भी विशेष महत्व है।
  • जैन धर्म में भी यह दिन अत्यंत पावन माना जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान ऋषभदेव ने एक वर्ष का कठिन तपस्या व्रत समाप्त कर प्रथम आहार ग्रहण किया था।
  • बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त करना इस दिन विशेष फलदायी माना जाता है।

अक्षय तृतीया पर क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पूजा करें।
  • दान-पुण्य में दिल खोलकर हिस्सा लें।
  • शुभ कार्यों जैसे खरीदारी, निवेश या नया व्यापार प्रारंभ करें।
  • भक्तिभाव से भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता का पूजन करें।

क्या न करें:

  • क्रोध, द्वेष और कटु वचन से बचें।
  • नकारात्मक विचारों का त्याग करें।
  • किसी भी प्रकार के अपवित्र कार्य करने से परहेज करें।

अक्षय तृतीया 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। चूंकि अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है, इसलिए पूरे दिन किसी भी समय शुभ कार्य किए जा सकते हैं। फिर भी पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार प्रातःकाल पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है।

निष्कर्ष

अक्षय तृतीया का पर्व हमें यह संदेश देता है कि शुभ कार्यों की शुरुआत और दान-पुण्य का महत्व हमारे जीवन में कितना जरूरी है। यह दिन न केवल भौतिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी अद्भुत अवसर है। आइए, इस अक्षय तृतीया पर हम सभी भी अच्छे संकल्प लें और जीवन को सकारात्मकता, प्रेम और समृद्धि से भर दें।

आपको और आपके परिवार को अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएं!

 

 

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