ब्लैक होल ब्रह्मांड के सबसे रहस्यमय और आकर्षक पिंडों में से एक हैं। इनका गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि इनमें से प्रकाश भी बाहर नहीं निकल सकता। आइए, विस्तार से समझते हैं कि ब्लैक होल क्या हैं, कैसे बनते हैं, और कैसे काम करते हैं।
ब्लैक होल क्या हैं?
ब्लैक होल एक ऐसा क्षेत्र होता है जहाँ गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक होता है कि कोई भी वस्तु, यहाँ तक कि प्रकाश भी, इससे बच नहीं सकता। इसका कारण यह है कि इसमें अत्यधिक मात्रा में द्रव्यमान एक अत्यंत छोटे क्षेत्र में संकुचित हो जाता है। इस सीमा को “इवेंट होराइजन” कहा जाता है, जो ब्लैक होल का वह बिंदु है जहाँ से वापसी संभव नहीं होती।
ब्लैक होल कैसे बनते हैं?
ब्लैक होल मुख्यतः विशालकाय तारों के जीवन के अंत में बनते हैं। जब एक विशाल तारा अपने जीवन के अंतिम चरण में पहुँचता है, तो उसके अंदर के नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है, और वह अपने ही गुरुत्वाकर्षण के कारण संकुचित हो जाता है। यह संकुचन इतना तीव्र होता है कि तारा एक बिंदु में सिमट जाता है, जिसे सिंगुलैरिटी कहा जाता है, और उसके चारों ओर एक इवेंट होराइजन बन जाता है।
ब्लैक होल के प्रकार
- स्टेलर ब्लैक होल: ये ब्लैक होल एक तारे के पतन से बनते हैं और इनका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से कुछ गुना अधिक होता है।
- सुपरमैसिव ब्लैक होल: ये ब्लैक होल लाखों से लेकर अरबों सौर द्रव्यमान के हो सकते हैं और आमतौर पर आकाशगंगाओं के केंद्र में पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, हमारी आकाशगंगा के केंद्र में स्थित सैजिटेरियस ए* एक सुपरमैसिव ब्लैक होल है।
- इंटरमीडिएट-मास ब्लैक होल: ये ब्लैक होल स्टेलर और सुपरमैसिव ब्लैक होल के बीच के होते हैं, लेकिन इनका अस्तित्व अभी तक पूरी तरह से सिद्ध नहीं हुआ है।
- प्राइमॉर्डियल ब्लैक होल: ये ब्लैक होल ब्रह्मांड की शुरुआत में उच्च घनत्व वाले क्षेत्रों में बने हो सकते हैं।
ब्लैक होल कैसे काम करते हैं?
ब्लैक होल का मुख्य गुण उसका अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण है। जब कोई वस्तु ब्लैक होल के इवेंट होराइजन के पास आती है, तो वह उसमें समा जाती है और उससे बाहर नहीं निकल सकती। ब्लैक होल के चारों ओर एक “एक्रेशन डिस्क” बन सकती है, जिसमें गिरती हुई गैस और धूल अत्यधिक गर्म होकर चमकने लगती है। यह डिस्क ब्लैक होल के अस्तित्व का संकेत देती है, क्योंकि स्वयं ब्लैक होल से प्रकाश नहीं निकलता।
ब्लैक होल का अध्ययन कैसे किया जाता है?
चूंकि ब्लैक होल से प्रकाश नहीं निकलता, इसलिए वैज्ञानिक इनका अध्ययन अप्रत्यक्ष रूप से करते हैं। जब ब्लैक होल के पास कोई तारा या गैस क्लाउड आता है, तो उसका व्यवहार बदलता है, और उससे निकलने वाला विकिरण हमें संकेत देता है कि वहाँ ब्लैक होल हो सकता है। इसके अलावा, गुरुत्वाकर्षण तरंगों का अध्ययन करके भी ब्लैक होल की जानकारी प्राप्त की जाती है।
ब्लैक होल के प्रभाव
ब्लैक होल का प्रभाव उसके आस-पास के क्षेत्र पर पड़ता है। यदि कोई वस्तु ब्लैक होल के बहुत पास जाती है, तो वह “स्पैगेटीफिकेशन” की प्रक्रिया से गुजर सकती है, जिसमें वह वस्तु खिंचकर लंबी और पतली हो जाती है। इसके अलावा, ब्लैक होल के पास समय का प्रवाह भी धीमा हो जाता है, जिसे “टाइम डाइलेशन” कहा जाता है।
ब्लैक होल और ब्रह्मांड
ब्लैक होल ब्रह्मांड की संरचना और विकास