Air India AI‑171 विमान दुर्घटना और डीएनए प्रोफाइलिंग का समापन

Air India AI‑171 विमान दुर्घटना और डीएनए प्रोफाइलिंग का समापन

 

1. दुर्घटना की पृष्ठभूमि

12 जून 2025 को दोपहर लगभग 1:39 बजे, अहमदाबाद के सर्दार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से AI‑171 विमान उड़ा, लेकिन कुछ ही सेकंडों में इसकी ऊँचाई घटने लगी और विमान नीचे गिर गया। यह विमान एक मेडिकल कॉलेज हॉस्टल और उसके आसपास की सड़क पर गिरा, जिससे अत्यधिक विनाश हुआ।

  • बोइंग 787‑8 में कुल 242 लोग सवार थे (यात्री और चालक दल)।
  • विमान के चारों ओर के अस्पताल परिसर और सड़क पर कम से कम 19 लोग भी मारे गए।
  • विमान में केवल एक व्यक्ति, ब्रिटिश नागरिक Vishwashkumar Ramesh, ज़िंदा बचा।

2. प्रारंभिक जानकारी और मृतक संख्या

प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार मृतकों की संख्या 270 तक पहुँची थी, लेकिन जांच में यह सुधार हुआ। अंततः पंजीकृत था:

  • 241 विमान में सवार लोग (यात्रियों व क्रू)।
  • 19 जमीनी लोग।
  • कुल 260 मौतें (अंतिम पुष्टि)

गुजरात की स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव Dhananjay Dwivedi और अहमदाबाद सिविल अस्पताल के सुप्रीटिंडेंट Rakesh Joshi ने पुष्टि की कि 260 शवों की पूरी प्रक्रिया धीरे‑धीरे समाप्त हुई। 

3. डीएनए प्रोफाइलिंग की भूमिका और प्रोसेस

3.1 क्यों जरूरी?

धमाके के तीव्र गर्मी के कारण (अनुमानित 1500°C), कई शव जलकर खारापन हो गए। सामान्य पहचान जैसे चेहरे या अंगूठा निशान असंभव थे।

इसलिए, डीएनए पहचान को प्राथमिकता दी गई।

3.2 वैज्ञानिक दृष्टिकोण

Ahmedabad Forensic Science Lab, Gandhinagar की FSL, और National Forensic Sciences University (NFSU) ने मिलकर यह कार्य किया। 32 वैज्ञानिकों की टीम ने लगभग 150 डीएनए सैम्पल प्रोसेस किए जिसने 254 शवों को डीएनए के ज़रिए चिन्हित किया, और बाकी छह को चेहरा पहचान तकनीक से।  

 

उदाहरण: एक परिवार जिसमें माता‑पिता और दो बच्चे शामिल थे, को पहचानने के लिए Y‑STR, X‑STR और ऑटोसोमल प्रोफाइलिंग का उपयोग किया गया जो रिश्तों को साबित करने में प्रभावी रहा। : 

4. पहचान प्रक्रिया का विस्तार

4.1 आरंभिक चरण

प्रारंभ में कम से कम 47 शवों की पहचान तुरंत हो गई, लेकिन जैसे-जैसे संख्या बढ़ने लगी, प्रक्रिया कठिन होती गई क्योंकि श्रेड्ड, जले या विकृत लाशों का डीएनए निकालना चुनौती था।  

4.2 माध्यमिक चरण

21 जून तक – 231 पहचान, इनमें 210 शव परिवारों को सौंपे गए। आखिरी पैच – 254 डीएनए + 6 चेहरे—बाकी था अंतिम डीएनए मिलान।  

 

4.3 अंतिम पहचान

28–29 जून की रात – अंतिम पहचान हुई, जिसे 32 वर्षीय Anil Lalji Khimani (भुज, गुजरात) की लाश मानी गई। इस तरह 260 शवों की पहचान पूरी हो गई और सभी शव उनके परिवारों को सौंपे गए।  

5. चुनौतियाँ, तकनीकी पहलू और संसाधन

  1. उच्च तापमान और कोपलों का खतरनाक डैमेज — डीएनए निष्कर्षण कठिन।
  2. सैंपल संग्रहण — शवों और उनके परिवारों से सटीक मेल।
  3. तकनीकी उपकरण — Y‑STR/X‑STR, ऑटोसोमल STR के ज़रिए रिश्तों की पहचान।
  4. तत्काल जांच — आम तौर पर महीनों लगते, परंतु यह रिकॉर्ड समय में (करीब 2 हफ्ते) पूर्ण।
  5. मनोवैज्ञानिक सहायता — परिवारों को भावनात्मक व कानूनी सहायता भी दी गई।

6. भावनात्मक पहलू

“इस पहचान ने परिवारों को उनका मोक्ष और पूजा-पाठ करने की शांति दी।”

कई परिवारों ने कहा कि अंतिम पहचान के बाद उन्हें मानसिक शांति मिली। परिजनों ने विधिपूर्वक अंत्येष्टि की प्रक्रिया के लिए परीक्षा खत्म करना अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।

7. सरकारी कार्रवाई और आगे की प्रक्रिया

  • Aircraft Accident Investigation Bureau (AAIB), NTSB (USA) और British जांचकर्ता जांच में सहयोग कर रहे हैं।  
  • स्थानीय राहत कार्य, शव वापसी लॉजिस्टिक्स, कानूनी दस्तावेज जैसे मृत्यु प्रमाणपत्र आदि समयबद्ध तरीके से जारी किए गए।
  • सूचना देकर नागरिकों को कानूनी और सामाजिक सहायता दी गई।
  • विमान सुरक्षा एवं अग्नि‑रोधी इंजन तकनीकों की समीक्षा शुरू। बोइंग भी सहयोग में है।

8. भविष्य के लिए सीखें

  • आपात स्थितियों में डीएनए आधारित पहचान प्रक्रिया की समयबद्धता दर्शाती है कि ऐसे उपकरण समय पर बचाव कार्य में कितने फायदेमंद होते हैं।
  • तकनीकी प्रयोग, जैसे Y‑STR और X‑STR, जटिल पारिवारिक पहचान में उपयोगी हैं।
  • सामाजिक, तकनीकी और मानव सहयोग से ऐसी घातक परिस्थितियों में न्यूनतम समय में पहचान संभव होती है।

निष्कर्ष

AI‑171 दुर्घटना देश की सबसे भयंकर विमान हादसों में से एक है। इस आपदा में 260 लोगों की जान गई। लेकिन डीएनए प्रोफाइलिंग तकनीक ने केवल पहचान में मदद नहीं की, बल्कि पीड़ित परिवारों को उचित अंतिम संस्कार करने और मानसिक शांति देने का मार्ग प्रशस्त किया। यह घटना विज्ञान, प्रशासन, और मानवता के संयोजन का एक जीवंत उदाहरण है।

 

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