“Wasn't Feeling Great When Shot Into Vacuum”: Shubhanshu Shukla का रोमांचक अनुभव

“Wasn’t Feeling Great When Shot Into Vacuum”: Shubhanshu Shukla का रोमांचक अनुभव

 

🌌 परिचय

Group Captain Shubhanshu Shukla, भारतीय वायुसेना के अनुभवी पायलट और अंतरिक्ष यात्री, 26 जून 2025 को Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना हुए। यह भारत का पहला मानवयुक्त मिशन है जिसमें ISS तक यात्रा शामिल है।

लॉन्च के बाद उन्होंने अपनी पहली अंतरिक्ष संदेश में कहा, “I was not feeling very great when we got shot into the vacuum”  , जिसे मीडिया और जनता ने बड़े उत्साह से सुना।

🚀 लॉन्च और शुरुआती अनुभव

मिशन का प्रक्षेपण 25 जून को USA के कैनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX Falcon‑9 रॉकेट की मदद से हुआ। पहले Indian astronaut Rakesh Sharma के बाद, Shukla ISS पहुंचने वाले पहले भारतीय बने।

उन्होंने बताया कि लॉन्च के दौरान बल से पीछे धकेले गए और फिर अचानक “कुछ नहीं” महसूस हुआ — यानि weightlessness के पहले प्रभाव उनकी चेतना से गुज़रा — “you are floating in vacuum”   

😷 कैसा लगा जब वेक्यूम में शॉट किया गया?

Shukla ने अपने पहले भागते दिनों के बारे में बताया: “I was not feeling very great when we got shot into the vacuum, but since yesterday, I have been sleeping a lot…”  

यह बात NDTV, The Federal और अन्य स्रोतों में भी प्रसारित हुई, जहाँ उन्होंने अपनी परिस्थिति की ईमानदार रूप में चर्चा की   

Sleepiness (नींद का बढ़ना) माइक्रोग्रैविटी में सामान्य है क्योंकि शरीर नए माहौल के अनुरूप खुद को एडजस्ट करता है, और इस बदलाव का असर खास कर launch के तुरंत बाद दिखाई देता है।

👶 Learning like a baby – नया वातावरण, नए सीख

Shukla ने उल्लेख किया कि वे खुद को एक बच्चे की तरह महसूस कर रहे हैं,

“I am learning like a baby, learning how to walk and eat in space.”

यह उद्धरण Rediff, Mathrubhumi और Economic Times में प्रकाशित हुआ, जिसमें उन्होंने zero‑gravity में basic कार्य जैसे खाना और चलना सीखने का जिक्र किया : 

🦢 ‘Joy’ – zero‑G संकेतक के रूप में स्वान

Shukla ने एक सफ़ेद plush swan, जिसे “Joy” कहा गया, को zero‑gravity संकेतक के रूप में spacecraft में रखा। इसका मतलब सिर्फ weightlessness का नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में ज्ञान और शांति की भावना को भी दर्शाता है  

संस्कृति, विज्ञान और मानवता के आत्म‑सम्मान को जोड़ने के इस कदम को विचारशील रूप में देखा गया है।

🔬 Axiom‑4 मिशन – कुछ मुख्य तथ्य

  • क्रू सदस्य: Peggy Whitson (कमांडर), Tibor Kapu (Hungary), Slawosz Uznanski‑Wisniewski (Poland), Shubhanshu Shukla (Pilot) :contentReference[oaicite:7]{index=7}
  • ISS पहुंच: लॉन्च के लगभग 28 घंटे बाद, 26 जून शाम तक Dock हुआ 
  • अध्ययन विषय: लगभग 60 वैज्ञानिक प्रयोग – जैव चिकित्सा, सूक्ष्मजीव अध्ययन, कृषि प्रयोग, मनोवैज्ञानिक परीक्षण आदि 

📡 भारत के लिए सार्थक – Gaganyaan तैयारी

Axiom‑4 मिशन सिर्फ शुक्ला का व्यक्तिगत अनुभव नहीं है, बल्कि भारत के लिए मानवीय अंतरिक्ष प्रयासों में एक सशक्त प्रारंभ है:

  • Gaganyaan का बेस: यह मिशन ISRO के मानवयुक्त मिशन Gaganyaan (2027) के लिए अनुभव संग्रह प्रदान करता है   
  • प्रयोगशाला अनुभव: ISS पर प्रयोगों से भविष्य के मिशनों हेतु डेटा और तकनीकी ज्ञान प्राप्त होगा।

👥 जन समर्थन और प्रतिक्रिया

भारत समेत अन्य देशों – हंगेरी, पोलैंड, USA – में लॉन्च के समय.watch parties हुईं। भारत के राकेश शर्मा के बाद शुक्ला ISS पहुंचे पहले भारतीय बन गए।

नेतृत्व और जनता ने सोशल मीडिया पर शुभकामनाएँ दीं, और उन्होंने कहा:

“This is not a personal accomplishment, this is a collective achievement…”
 

🧭 निष्कर्ष

Shubhanshu Shukla का वेक्यूम में खराब महसूस होना और फिर धीरे-धीरे अनुकूलन की यात्रा हमें बताती है कि मानव शरीर और मन किस तरह नए माहौल में ढलते हैं। यह मिशन न केवल व्यक्तिगत साहस की मिसाल है, बल्कि भारत के भविष्य के मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों के लिए प्रेरणा भी।

 

 

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