🔬 कालीकट यूनिवर्सिटी: गोल्ड–कॉपर नैनोक्लस्टर्स से हाई‑एंडी LED तकनीक विकसित

 

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कलीकट (मलप्पुरम), 16 जून 2025: कालीकट यूनिवर्सिटी (University of Calicut) के नैनोसाइंस और टेक्नोलॉजी विभाग के डॉ. शिबु सिद्धार्थ और उनके पीएच.डी. छात्र डॉ. राइवल जोस ने एक क्रांतिकारी LED उपकरण विकसित किया है—जो गोल्ड–कॉपर (Au‑Cu) एलॉय नैनोक्लस्टर्स पर आधारित है। इस शोध ने बहुत स्पष्ट शुद्ध लाल उत्सर्जन प्रदान करते हुए ≈12.6 % की External Quantum Efficiency (EQE) हासिल की, जो नैनोक्लस्टर‑आधारित LEDs में दुनिया में सबसे उच्चतम में से एक मानी जाती है  

1. तकनीकी इनोवेशन की भूमिका

यह खोज Advanced Materials (Wiley) जैसे उच्च प्रभाव फैक्टर (IF 27.4) वाले जर्नल में प्रकाशित हुई है। यह पहली बार है जब यूनिवर्सिटी ऑफ़ कालीकट की टीम ने इतने प्रतिष्ठित वैज्ञानिक मंच पर अपना लेख प्रकाशित किया   इस उपलब्धि ने भारतीय राज्य विश्वविद्यालयों की शोध क्षमता व प्रतिष्ठा को वैश्विक स्तर पर एक नई ऊँचाई पर पहुंचाया है।

इस LED यंत्र में प्रयुक्त तकनीक का मूल आधार मोलेक्युलर स्तर पर परमाणु‑सटीक नैनोक्लस्टर्स है, जिनमें कुछ ही अणुओं का मिश्रण होता है—यहाँ विशेष रूप से Au‑Cu alloy का उपयोग हुआ है, जो गैर‑विषैले, स्थिर और पर्यावरण‑संगत विशेषताएं प्रदान करते हैं 

2. न्यूटेक्नोलॉजिकल विशिष्टताएँ

  • पैसेज्ड शुद्ध लाल उत्सर्जन – उच्च रंग सैचुरेशन
  • 12.6 % EQE – नैनोक्लस्टर LEDs में विश्वस्तरीय प्रदर्शन  
  • उच्च थर्मल व फोटोस्टेबिलिटी – LED प्रदर्शन को लंबे समय तक स्थिर बनाए रखती है  
  • इको‑फ्रेंडली सॉल्यूशन‑प्रोसेस्ड विधि – खर्च‑कम, स्केलेबल और पर्यावरण‑हितैषी निर्माण प्रक्रिया  

3. शोध प्रक्रिया और वैज्ञानिक योगदान

डॉ. शिबु सिद्धार्थ ने St. Thomas’ College, Thrissur से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और IIT मद्रास में पद्मश्री प्रो. टी. प्रवीद के मार्गदर्शन में PhD की उपाधि प्राप्त की। उन्हें जापान व फ्रांस में फेलोशिप भी मिली। वे CSIR‑CECRI में कार्यरत रहे और 2021 में कालीकट यूनिवर्सिटी से जुड़े 

डॉ. राइवल जोस के नेतृत्व में यह शोधक्रम सुचारू और गहन ढंग से आगे बढ़ा। इसके अलावा, यह परियोजना IISc बैंगलोर, IIT मद्रास, तांपेरे यूनिवर्सिटी (फ़िनलैंड) और होक्काइडो यूनिवर्सिटी (जापान) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के सहयोगी योगदान से सशक्त हुआ 

4. नैनोक्लस्टर्स: संक्षिप्त विज्ञान

नैनोक्लस्टर्स परमाणु‑परिमाण में तैयार किए गए संकुल होते हैं—ये पारंपरिक नैनोपार्टिकल्स से भी छोटे और परमाणु‑सटीक होते हैं। ये उत्कृष्ट और नियंत्रित इलेक्ट्रॉनिक संरचना प्रस्तुत करते हैं, जिससे उनकी optoelectronic और प्रकाश उत्सर्जन क्षमता अत्यधिक होती है  

Au‑Cu एलॉय का प्रयोग इन्हें दुर्लभ अवधारणाओं जैसे:

  • ताप‑स्थिरता (thermal stability)
  • प्रकाश‑स्थिरता (photostability)
  • प्रदूषण‑रहित निर्माण

—उपलब्ध करवाता है, जो पारंपरिक LED सामग्री से उच्च लाभकारी साबित होता है  

5. LED और nanocluster LEDs में तुलना

पारंपरिक LEDs जैसे अल्काइनेट LEDs या क्वांटम डॉट LEDs, अक्सर टॉक्सिक पिगमेंट (CdSe) या दुर्लभ धातु आधारित होते हैं, जबकि नैनोक्लस्टर LEDs:

  • गोल्ड‑कॉपर आधारित
  • कम‑कीमत, अकार्बनिक और विष‑रहित
  • सरल समाधान–आधारित निर्माण प्रक्रिया
  • बहुत उच्च ध्रुवीकरण और उत्सर्जन गुणवत्ता

12.6 % EQE, आज के उच्चतम स्तरों में गिनी जाती है—जो nanocluster तकनीक को मुख्यधारा वाले optoelectronics उपकरणों में प्रतिस्पर्धा योग्य बनाती है ।

6. संभावित अनुप्रयोग (Applications)

  • ऊर्जा‑दक्ष प्रकाशन: LED बल्ब, स्ट्रिप लाइट्स और प्रदर्शनी पैनल्स में उपयोगी
  • उच्च गुणवत्ता वाले डिस्प्ले: टेलीविजन, स्मार्टफोन में सटीक रंग सिद्धांत
  • बायोमेडिकल इमेजिंग: जीव‑तंत्रों की संरचनाओं की विस्तृत दृष्टि और प्रयोग
  • विकिरण नापी उपकरण: environmental sensing, biochemical sensing उपकरणों में उपयोग

7. भविष्य की दिशा और रोडमैप

शोध टीम का लक्ष्य है:

  • EQE को और बेहतर बनाना (>15 %)
  • रंग सीमा का विस्तार: Green, Blue, Near‑infrared (NIR)
  • सघन उत्पादन प्रक्रिया को कम लागत में मानकीकृत करना
  • वाणिज्यिक पैमाने पर उत्पादन के लिए उद्योग सहयोग

इससे न केवल प्रकाशन उपकरणों में बल्कि sensing, medical diagnostics व स्मार्ट उपकरणों में क्रांति आएगी।

8. भारत में नवाचारी अनुसंधान का सकारात्मक संदेश

डॉ. शिबु सिद्धार्थ ने कहा: “यह सिर्फ nanocluster LED दक्षता की सीमा नहीं बढ़ाता—यह यह साबित करता है कि भारत के राज्य विश्वविद्यालय भविष्य‑दर्शी तकनीकी नवाचार करने में सक्षम हैं। यह कालीकट यूनिवर्सिटी और पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है।” 

इस खोज ने दिखाया कि कैसे केंद्र सरकार व राज्य सरकार के शोध‑समर्थन से Grass‑root स्तर पर उभरते हुए इंजीनियर्स/वैज्ञानिक वैश्विक मंच पर ऊर्जा‑दक्ष आदि तकनीकी समाधानों में योगदान कर सकते हैं।

9. निष्कर्ष

कालीकट यूनिवर्सिटी का यह LED‑नैनोक्लस्टर अनुसंधान निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:

  • 12.6 % की विश्व-स्तरीय EQE प्राप्ति
  • विष‑रहित और सोल्युशन-प्रोसेस्ड निर्माण
  • उच्च स्थायित्व एवं थर्मल/फोटो स्टेबिलिटी
  • शोध में भारत की अंतर्राष्ट्रीय पहुंच

यह एक मजबूत बेंचमार्क सेट करता है—LED टेक्नोलॉजी के अगली पीढ़ी में नैनोक्लस्टर की भूमिका महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली नज़र आती है।

 

 

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