कनाडा के ताज़ा चुनावी नतीजों ने एक बार फिर से लिबरल पार्टी को सत्ता में बिठा दिया है। इस जीत के बाद पूर्व बैंक ऑफ कनाडा गवर्नर और संभावित लिबरल नेता मार्क कार्नी ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि कनाडा को अमेरिका द्वारा किए गए पुराने विश्वासघात को कभी नहीं भूलना चाहिए। यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका-कनाडा संबंधों में फिर से बदलाव की उम्मीद जताई जा रही थी।
🔴 क्या है चुनावी परिणाम?
2025 के कनाडा आम चुनाव में लिबरल पार्टी ने फिर से बहुमत हासिल करते हुए सत्ता में वापसी की है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की पार्टी ने कई महत्वपूर्ण प्रांतों में क्लीन स्वीप करते हुए विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी को पीछे छोड़ दिया।
- लिबरल पार्टी: 172 सीटें
- कंजरवेटिव पार्टी: 119 सीटें
- NDP: 28 सीटें
- ग्रीन पार्टी: 5 सीटें
- अन्य: 14 सीटें
यह परिणाम दर्शाता है कि जनता ने फिर से लिबरल सरकार पर भरोसा जताया है, हालांकि कुछ क्षेत्रों में नाराज़गी भी दिखाई दी।
🗣️ मार्क कार्नी का विवादास्पद बयान
लिबरल पार्टी के वरिष्ठ नेता और बैंकिंग विशेषज्ञ मार्क कार्नी ने चुनावी नतीजों के बाद मीडिया से बातचीत में अमेरिका को लेकर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा:
“कनाडा को अमेरिका द्वारा पूर्व में किए गए रणनीतिक और व्यापारिक विश्वासघात को कभी नहीं भूलना चाहिए। हमारी स्वतंत्र विदेश नीति और व्यापार नीति ही हमारी असली ताकत है।”
यह बयान अमेरिका और कनाडा के बीच ट्रेड टैरिफ, आर्टिक संधियों और ऊर्जा नीति पर पुराने विवादों की ओर इशारा करता है।
🇺🇸 अमेरिका-कनाडा संबंधों की पृष्ठभूमि
मार्क कार्नी का बयान यूं ही नहीं आया। अमेरिका-कनाडा के संबंध पिछले एक दशक में कई बार तनावपूर्ण हो चुके हैं:
- ट्रंप प्रशासन के दौरान स्टील और एल्युमिनियम पर भारी टैरिफ लगाया गया था।
- Keystone XL Pipeline प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया गया, जिससे कनाडा की ऊर्जा नीति को झटका लगा।
- NAFTA संधि को नया रूप देकर USMCA बनाया गया, जिसमें कनाडा को कई समझौतों के लिए मजबूर किया गया।
इन सभी घटनाओं ने कनाडा को अपनी रणनीतिक और आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर सोचने पर मजबूर कर दिया है।
🗳️ जनता की प्रतिक्रिया
कनाडाई नागरिकों की प्रतिक्रिया इस चुनाव में विविध रही। शहरी इलाकों में लिबरल पार्टी को समर्थन मिला, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में कंजरवेटिव पार्टी ने मज़बूत पकड़ बनाई। लेकिन मार्क कार्नी के बयान ने बहस को नया मोड़ दे दिया है।
ट्विटर, रेडिट और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोग पूछ रहे हैं:
- क्या अमेरिका पर निर्भरता से बाहर निकलना संभव है?
- क्या यह बयान अमेरिका के साथ संबंधों को और बिगाड़ देगा?
- क्या मार्क कार्नी भविष्य में पीएम पद के लिए आगे आएंगे?
🌐 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
मार्क कार्नी का बयान न केवल देश के भीतर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी चर्चा का विषय बन गया है।
अमेरिकी मीडिया में इस बयान को कनाडा की विदेश नीति में उग्र रुख के रूप में देखा जा रहा है। वहीं यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन के विश्लेषक इसे एक “स्वतंत्र कनाडा” की ओर बढ़ता कदम मानते हैं।
📊 क्या यह चुनावी रणनीति थी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए दिया गया हो सकता है, क्योंकि अमेरिकी नीतियों से नाराज़ कनाडाई नागरिकों की संख्या भी कम नहीं है।
मार्क कार्नी ने खुद को भविष्य में ट्रूडो के उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया है, और ऐसे में राष्ट्रवाद से जुड़ा कोई भी बयान उनके लिए सहानुभूति और लोकप्रियता ला सकता है।
📌 क्या कनाडा अब अलग राह पर चलेगा?
लिबरल पार्टी की इस ऐतिहासिक जीत के साथ-साथ अगर सरकार मार्क कार्नी जैसे नेताओं की बातों पर ध्यान देती है, तो कनाडा अपनी विदेश और व्यापार नीति को अमेरिका से कमज़ोर होते रिश्तों के मद्देनज़र नया स्वरूप दे सकता है।
संभावनाएँ हैं:
- एशियाई देशों के साथ मजबूत व्यापारिक रिश्ते
- यूरोप के साथ अधिक सामरिक साझेदारी
- ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ प्रयास
📢 निष्कर्ष
कनाडा के चुनाव परिणाम केवल एक पार्टी की जीत नहीं, बल्कि एक नीति परिवर्तन का संकेत हैं। मार्क कार्नी का बयान इस बात की पुष्टि करता है कि आने वाले वर्षों में कनाडा अपनी नीति में अमेरिका पर निर्भरता से हटकर वैश्विक बहुपक्षीयता की ओर कदम बढ़ा सकता है।
लिबरल्स की जीत और मार्क कार्नी का बयान कनाडा की आने वाली राजनीति और विदेश नीति को नई दिशा देंगे, यह तय है। अब देखना यह है कि प्रधानमंत्री ट्रूडो इस संकेत को कैसे लेते हैं – सहयोग के रूप में या सावधानी के साथ?
क्या आपको लगता है कि मार्क कार्नी का बयान सही है? नीचे कमेंट में अपनी राय ज़रूर दें।