1. परिचय
15 जून 2025, रविवार की दोपहर लगभग 3:15 PM बजे: पुणे के मावल तेहसील के कुंडमाला में इंद्रायणी नदी पर बना लगभग 30‑33 साल पुराना पैर पुल अचानक क्रैक कर ढह गया। शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार पुल पर करीब 125‑200 लोग एक साथ खड़े थे – जिसमें से अकेले उस जगह 50‑60 लोग ही थे जहां पुल ने अचानक काम करना बंद कर दिया।
परिणाम: 4 लोगों की मौत, 51 घायल, और चारों तरफ अफरा‑तफ़री। इस ब्लॉग में जानिए, इस घटना के हर पहलू को विस्तार से—ताज़ा आंकड़ों से लेकर प्रशासनिक बहस, और आगे की सड़कों तक।
2. हादसा कैसे हुआ?
- समय: 15 जून 2025, दोपहर 3:15 बजे (सूचना 3:30 PM पर पहुंची)
- स्थान: मावल, कुंडमाला गांव, पुणे ज़िला
- पुल की उम्र: लगभग 30‑33 साल (1990‑93 में बना)
- लोड: पैदल‑यात्री और दोपहिया वाहनों का मिश्रण – हज़ारों की संख्या में लोग
- संरचना: लौह‑चट्टान और सीमेंट की बनी narrow pedestrian footbridge.
2.1 बर्बादी का कारण
– भारी बारिश और नदी का पानी तेज बहाव में था – स्थानीय प्रशासन द्वारा “खतरे में है” चेतावनी बोर्ड लगाए गए थे, पर उसे अनदेखा किया गया – साल 2023 में ही प्रशासन ने पुल की हालत को खराब बताया और मरम्मत या नए पुल के निर्माण के आदेश दिए थे, लेकिन बरसात आने से पहले कार्य शुरू नहीं हुआ
3. मृतकों और घायलों का विवरण
अब तक की पुष्टि के अनुसार मृतकों में शामिल हैं: चंद्रकांत साठवले, रोहित माने, विहान माने, और एक अनजान पुरुष
घायल अधिकांश लोगों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है—7 आईसीयू में, 6 गंभीर । बचाव कार्य में अब तक 50–55 लोगों को NDRF, स्थानीय प्रशासन व पुलिस ने सुरक्षित निकाला
4. मौके से लोगों की आवाज़
“ब्रिज पर लगभग 150‑200 लोग थे, और जिस जगह टूट गया, वहाँ 50‑60 लोग थे… भगवान की कृपा से हमारा परिवार सुरक्षित है।” – स्वपनिल कोल्लम
“यह राम का आशीर्वाद है… आज ये मेरे और मेरे परिवार की पुनर्जन्म की घड़ी है।” – निखिल कोल्लम
5. प्रशासन व नेताओं की प्रतिक्रिया
- मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस: 2 लोग मरे, 32 घायल, कई अभी गुम, NDRF मौके पर
- NCP नेता शरद पवार: मॉनसून में टूरिस्ट स्पॉट की सुरक्षा ज़रूरी
- कांग्रेस: “दोषियों को कानून के मुताबिक कार्वाई करनी होगी”
- स्थानीय MLA/मंत्री: ₹5 लाख मुआवज़ा मृतकों के परिवार को, घायल‑रोगियों का उपचार फ्री
साथ ही, आदेश दिया गया है: सभी पुराने पुलों पर स्ट्रक्चरल ऑडिट, और यदि लापरवाही साबित होती है तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी
6. असल वजह: क्या यह सिर्फ दुर्भाग्य है?
यहाँ मुख्य कारण हैं जो मिली-जुली मानवीय और प्रशासनिक चूक पर इशारा करते हैं:
- इतिहासिक लापरवाही: 2023 में ही पुल खराब घोषित हुआ था लेकिन मरम्मत रुकी रही
- सुरक्षा ने अमल न पाया: चेतावनी बोर्ड्स लगे पर फिक्स बैरिएडर/रैपिड रेस्पॉन्स व्यवस्था नहीं थी
- मॉनसून जोखिम: भारी बारिश और नदी का हाई फ्लो पूल की स्ट्रक्चर पर भारी दबाव
- पर्यटन का दबाव: कुंडमाला monsoon-spot बनने के कारण अचानक बंपर स्ट्रीक्योड़ ज़मीन पर भीड़ बढ़ी।
7. भविष्य के लिए रोडमैप
7.1 तात्कालिक कदम
- सभी पुराने पुलों की त्वरित संरचनात्मक ऑडिट
- रविवार‑सोमवार जैसे भीड़ वाले दिनों में खास निगरानी
- दो तरह के बैरिएडर + Warning signs + CCTV + दूरदराज़ स्थानों पर हाई‑सिरियस अलर्ट
7.2 दीर्घकालिक रणनीति
- 30‑40 साल से ज्यादा पुराने पुलों का री-डिज़ाइन और पुनर्निर्माण
- मॉनसून सुरक्षा नीति: हर साल मई‑जून में स्पॉट ऑडिट + रिमोवल ऑफ अनसेफ स्ट्रक्चर
- टूरिज्म + डिसास्टर मैनेजमेंट + लोकल पुलिस टीम्स की कमन फैसिलिटेशन + ऑन-साइट ऑडिट
- पब्लिक अवेयरनेस कैंपेन: “Unsafe Corridor पर न जाएँ”, “Government recommendations फॉलो करें”
8. निष्कर्ष – सीख क्या है?
पुणे पुल ढहना केवल एक दुर्भाग्य नहीं। यह चेतावनी है – “हमने समय रहते लापरवाही की, तो मौत का मुंह सामने आएगा।” आज चार लोग जा चुके, लेकिन भविष्य में इससे बड़ा हादसा टाला जा सकता है।
इस ब्लॉग को पढ़कर आप जान गए होंगे: क्या हुआ, क्यों हुआ, कौन जिम्मेदार, सरकार क्या कर रही, टूरिस्ट क्या करें, और आगे क्या संभव है। अब यह जनता और प्रशासन दोनों का फ़र्ज बनता है कि यह गलती दोबारा न हो।